जिस पक्षी ने हमें दिया " बर्ड मैन " वही पहुंचा संकट के कगार पर

 

दोस्तों आज विश्व गौरैया दिवस है यानी वर्ल्ड स्पैरो डे गौरैया को हम घरेलू चिड़िया के रूप में भी जानते हैं और हमारे बचपन में आपने आसपास गोरैया को चहचहाते हुए जरूर देखा होगा


             


सैकड़ों की संख्या में गोरैया हमारे छतों, खेत, खलिहान, में पेड़ों आदि पर मंडराती नजर आ जाती थी।

 बचपन में कभी न कभी गोरैया के घोसले में से उसके बच्चों को आपने जरूर देखा होगा और बाहर निकाल कर वापस अंदर भी रखा होगा। 
    यह सब हमारे बचपन की मीठी यादें हैं। 80 से 90 के दशक में गौरैया पूरे भारतवर्ष में या यूं कहें कि पूरी दुनिया में अत्याधिक मात्रा में मौजूद थी। 



 लेकिन पिछले 20 सालों में गौरैया की संख्या में काफी कमी आ गई है ।हालांकि 2012 में दिल्ली सरकार ने गोरैया को राज्य पक्षी घोषित किया था और 20 मार्च को हर साल विश्व गोरैया दिवस भी मनाया जाता है।

 गोरैया दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि लोगों को गोरैया के संरक्षण के बारे में तथा इसकी घटती हुई संख्या को लेकर जागरूक करना।

हालांकि गोरैया आज भी दिख जाती है लेकिन पहले की तुलना में अगर बात करें तो बहुत ही कम हो चुकी है ।




   " रॉयल सोसाइटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स" ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अध्ययन के आधार पर गोरैया को रेट लिस्ट में भी डाला है ।
गोरिया की तादात में इतनी कमी आने का सबसे बड़ा कारण है मोबाइल टावर कि रेडिएशन। 
   अध्ययन से पता चला है कि मोबाइल टावर के रेडिएशन से गोरैया के बच्चे जहां 10 से 15 दिन में अंडे से बाहर आ जाते थे । अब वह 1 महीने तक बाहर नहीं आ पाते हैं। 

और ऐसी स्थिति में बहुत बार अंडों में ही बच्चे मर जाते हैं । जिससे गोरैया की जनसंख्या पर काफी प्रभाव पड़ा है। 



   इसके साथ साथ अंधाधुंध शिकार दाना पानी की उपलब्धता में काफी कमी आदि के चलते गोरैया की मात्रा अब धीरे-धीरे काफी कम हो गई है। 
   यदि हम समय पर सजग नहीं होंगे तो हो सकता है कि आने वाली पीढ़ी के लिए गोरैया सिर्फ एक याद बन जाए।

आपने " डॉक्टर सलीम अली" का नाम जरूर सुना होगा जिन्हें भारतीय बर्ड मैन भी कहा जाता है । 
 उन्होंने पक्षियों पर अपने अध्ययन की शुरुआत गोरैया से ही की थी और गोरैया का अध्ययन करते समय उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी थी जिसका नाम था " द फॉल ऑफ ए स्पैरो"।
 उसी से प्रेरित होकर उन्होंने अपना पूरा जीवन पक्षियों को समर्पित किया था । तो जिस गोरैया की वजह से हमें बर्ड मैन मिले आज वही गोरैया संकटग्रस्त होने की ओर अग्रसर है । हमें मिल जुल कर गोरैया को संकटग्रस्त होने से बचाने का प्रयास करना चाहिए


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