नलों में टोटियां नहीं , व्यर्थ बह रहा हजारों लीटर स्वच्छ जल,लोगों में जागरूकता का अभाव,सरकारी प्रयास विफल,जलदाय विभाग ने मूंदी आंखे
और चौथ का बरवाड़ा तथा आसपास के इलाकों में भूमिगत जल के स्रोत धीरे धीरे या तो कम पड़ते जा रहे हैं या फिर सूख रहे हैं।
जिसके चलते निकट भविष्य में चौथ का बरवाड़ा में पानी की कमी आ सकती है।इसके बावजूद जागरूकता के अभाव में कई लोगों ने अपने घरों में स्थित नलों में टोंटीयां नहीं लगा रखी है जिसके चलते हजारों लीटर पेयजल नालियों में बह जाता है ।और कुछ भी काम का नहीं रहता है ।
ऐसा नहीं है कि यह स्थिति पिछले कुछ दिनों या पिछले कुछ महीनों से है ..ध्यान दिया जाये तो यह स्थिति पिछले कई सालों से बरवाडा में लगातार बनी हुई है।
कईलोग अपने घरों में टोंटीयां नहीं लगाते हैं जिसकी वजह से पानी व्यर्थ बह जाता है। मिशन ग्रीन बरवाड़ा के सदस्य लोगों से नलों में टोटिंया लगाने की अपील भी करते रहें हैं
।लेकिन जागरूकता के अभाव में अभी तक ऐसा संभव नहीं हो सका है।
ओवर फ्लो के नाम पर व्यर्थ बह रहा पानी : गौरतलब है की जिस दिन चौथ का बरवाड़ा में पानी की सप्लाई होती है उसके एक दिन पहले पानी की टंकी रात में भर ली जाती है।
.लेकिन कई बार कर्मचारियों की लापरवाही के चलते हैं या ओवरफ्लो के नाम पर देर शाम या रात म़े नलों में पानी आ जाता है और नलों में टोंटीयां नहीं होने से यह पानी व्यर्थ बह जाता है।
क्योंकि रात्रि में लोग पानी नहीं भरते हैं इस वजह से लोगों को पता भी नहीं चल पाता है कि नल आ रहे हैं या नहीं आ रहे हैं और इस कारण हजारों लीटर पानी बेकार हो जाता है।
पूर्व में चलाया जा चुका है अभियान : नलों में टोटियां नहीं होने के कारण व्यर्थ बह रहे जल की वजह से जलदाय विभाग द्वारा पूर्व में अभियान चलाया जा चुका है।
इसके साथ साथ पेंशनर समाज चौथ का बरवाड़ा द्वारा भी पूर्व में गांव में घूम घूम कर लोगों को नलों में टोटियां लगाने के बारे में जागृत किया जा चुका है लेकिन कुछ दिनों के सुधार के बाद पुनःनलों से टोटियां गायब होने लगी है।
सरकारी प्रयास विफल : हर बार सभी सरकारें अखबार ,सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया,नुक्कड़ नाटकों आदि के माध्यम से जल बचाने की सीख देती रहती है।
लेकिन सारे सरकारी प्रयास चौथ का बरवाड़ा में विफल होते नजर आ रहे हैं
अगर इसी प्रकार चौथ का बरवाड़ा में पानी व्यर्थ बहता रहा तो निकट भविष्य में पानी के लिए चौथ का बरवाड़ा की आत्मनिर्भरता खत्म हो सकती है।
और पानी के अन्य साधनों पर निर्भर होना पड़ सकता है।
कई वर्षों पहले चौथ का बरवाड़ा में दिन में दोनों बार नल आता था फिर धीरे-धीरे दिन मे एक बार आने लगे और अब दो दिन में एक बार नल आता है।
अब गर्मी का मौसम भी शुरू हो चुका है और गर्मी के मौसम में यह परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ने की आशंका है।
जहां एक ओर पूरी दुनिया में स्वच्छ पेयजल के स्रोत धीरे धीरे कम पड़ते जा रहे हैं वहीं लापरवाही के चलते हैं चौथ का बरवाड़ा में वही स्वच्छ जल नालियों में बह जाता है।
प्रशासन व जलदाय विभाग से निवेदन है कि इस ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए
जल पर कवि देवेंद्र सिंह बगीना की कुछ पंक्तियां
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